Vikash Ranjan

Vikash Ranjan Poems

मोहब्बत थी मुकम्मल कल, आज हर तरफ वीराना है
यहाँ से दूर जाना है... यहाँ से दूर जाना है...

सफ़र ही है सफ़र अब तो भले हमसफ़र साथ ना हो,
...

कितना मुश्किल होता है, ऐसे तन्हा जीने में।
एक दर्द है मेरे सीने में, एक दर्द है तेरे सीने में।

कभी नींद नही आती है, तो कभी मुकम्मल नही हो पाती है।
...

जब दिन बुरे दिन हो ज़िंदगी के हर पल बूरा होता है,
जब अपने रूठ जाते हैं कोई ना आसरा होता है,
हर कोई चाहता है की तुम टूटकर बिखर जाओ,
कोई नही यहा किसी का सहारा होता है |
...

धनवान हो या निर्धन?
बताओ सुखी तुम कौन हो?

धनवानों को है लूट जाने की डर,
...

हर दुआ से बढ़कर 'मेरी माँ' तेरी दुआ है,

हर वक़्त तेरा प्यार मिला जबसे जनम हुआ है |
...

बे-मौसम बरसात हुई, भीग गया मेरा तन-मन,
बारिश की बूंदों ने कर गया घायल मेरा मन |
ऐसा तो पहले भी हुआ था, पर था कुछ एहसास नया,
कतरा-कतरा जब बारिश की, मेरे मन को छूने लगा,
...

हर घड़ी हर-पल मुझे दिल में रखती है
मैं ख़ुश रहूँ सदा यही दुआ हर-बार करती है
मेरी हर भूल को भी जाने क्यूँ माफ करती है
बस माँ ही है जो ता-उम्र प्यार करती है...
...

जबसे भरा पिया मांग तूने,
सपने सुहाने हमने देखा |
चुटकी भर सिंदूर से देखो,
बदल गयी मेरी भाग्य की रेखा |
...

Vikash Ranjan Biography

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The Best Poem Of Vikash Ranjan

मोहब्बत थी मुकम्मल कल...

मोहब्बत थी मुकम्मल कल, आज हर तरफ वीराना है
यहाँ से दूर जाना है... यहाँ से दूर जाना है...

सफ़र ही है सफ़र अब तो भले हमसफ़र साथ ना हो,
हमें तो दूर जाना है, यहाँ से दूर जाना है...

खिला है फूल चमन में तो मुरझा के भी कहना है,
वफ़ा का नूर है ये तो सदा के लिए रह जाना है |
यहाँ से दूर जाना है... यहाँ से दूर जाना है...

शिकायत थी नहीं तुंझसे, शिकायत अब नहीं तुझसे,
वफ़ा के ये अदा जीतने, मुझे वफ़ाएँ दी तुमने,
मुझे बस तुझपे मारना है, यहा से दूर जाना है...

खफ़ा गर तुम हो कभी तो, मुझे हर पल मनाना है,
मिला जो साथ मुझे तेरा, प्यार का ये तराना है |
यही हर बार कहना है, यहाँ से दूर जाना है...

मोहब्बत थी मुकम्मल कल, आज हर तरफ वीराना है
यहाँ से दूर जाना है... यहाँ से दूर जाना है...

Vikash Ranjan Comments

Vikash Ranjan Quotes

हम जब छोटे बच्चे होते हैं तभी हमारी ज़िन्दगी बहुत अच्छी होती है, ना कुछ पाने की चाह ना कुछ खोने का ग़म रहता है, सब कुछ बहुत अच्छा लगता है, मैं अकेला नहीं बहुत ऐसे लोग हैं जो कहते हैं की बचपन बहुत अच्छा था अब बड़े होकर सब बेकार सा लगने लगा है... लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि बचपन बहुत अच्छा था और जवानी बुरी क्यूँ लगने लगी? दरअसल बात ये है कि बचपन में जब हम छोटे होते हैं उस वक़्त हर काम अपने माँ-पापा से पूछ कर करते हैं, वो हमें अकसर सही ग़लत में फ़र्क़ बताते हैं, उनके बताए मार्ग पर चलकर हमें सब अच्छा लगता है। लेकिन जब बड़े हो जाते हैं तो हम अकसर अपने मन की सुनते हैं, जो ख़ुद दिल करता है वही करते हैं, दिमाग़ सही ग़लत का हमें सही फ़ैसला लेने मदद नहीं करता है फिर भी हम अपने से बड़ों की बातें मानने से इनकार कर देते हैं और परिणाम सब कुछ ख़त्म हो जाता है। कई बार हम बुरे हालात के शिकार हो भी जाते हैं। बड़ों की बातें टालकर हम कुछ अलग फ़ैसले लेते हैं जो माना की कई बार सफलता दिलाने में मदद करता है पर ज़्यादातर असफल हो जाते हैं और ज़िन्दगी बेरंग हो जाती है फिर धीरे धीरे जीने की तमन्ना भी ख़त्म होने लगती है, लोग हार जाते हैं अपनी ज़िंदगी से और पूरी तरह से टूट जाते हैं। ऐसे परिस्थिति में हिम्मत हार जाने से बेहतर है कि आप शांत मन से सोचकर कोई अच्छा फ़ैसला लें, जो भी फ़ैसला लें वो अपने पापा-मम्मी से भी साझा करें उन्हें भी ख़ुश रखने की पूरी कोशिश करे उनकी भी सुने... उनके कहे अनुसार चलें, माना कि वो कम पढ़े लिखे हो सकते हैं पर उनके पास ज़िन्दगी जीने का बेहतर अनुभव होता है उनके बताये मार्ग पर चल कर आप अकसर सफलता की ओर बढ़ेंगे और मंज़िल पाना भी आसान हो जाएगा। विकाश रंजन मुस्कुराते रहें, स्वस्थ रहें!

ना कोई कष्ट, ना कोई दुःख, ना है आती कोई परेशानी अगर हो आप पर प्रभु शनिदेव कि मेहरबानी -विकास रंजन

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