SANDEEP KUMAR SINGH

SANDEEP KUMAR SINGH Poems

बेटी हूँ तो मिटा दिया |

क्या थी मेरी गलती माँ,
जो तूने मुझे मिटा दिया,
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The Best Poem Of SANDEEP KUMAR SINGH

बेटी हूँ तो मिटा दिया |

बेटी हूँ तो मिटा दिया |

क्या थी मेरी गलती माँ,
जो तूने मुझे मिटा दिया,
अपनी ही हांथो से तूने,
आँचल अपना हटा दिया,

देख न पायी मैं तेरी सूरत,
कैसी थी माँ तेरी मूरत,
चली गई मैं यहाँ से रोवत,
कैसी थी माँ पापा की सूरत |

बेटी हूँ मैं इसी लिए क्या,
हाथ अपना हटा लिया?
क्या थी मेरी गलती माँ,
जो तूने मुझे मिटा दिया?

यह दुनिया देखने से पहले,
क्यो तूने मुझे सुला दिया,
क्या थी मेरी गलती माँ,
जो इतना बड़ा सजा दिया?

' बेटी है तो क्या हुआ, ये है आँखों का नूर |
जीने का अद्दिकार छीन कर करो न इनको दूर | '


संदीप कुमार सिंह |
(हिंदी विभाग, तेज़पुर विश्वविधयालय)
मो.नॉ. +९१८४७१९१०६४०

SANDEEP KUMAR SINGH Comments

Ankita 22 February 2022

Wanderful

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