Sachin Brahmvanshi is an Indian poet, author and a motivational speaker. He hails from Jaunpur, Uttar Pradesh. He writes poems, articles based on beloved feelings, social issues, occasional importance, etc. His poems, stories and articles get published in many magazines frequently.
बहन-भाई की प्रीति है,
यह चली आ रही रीति है;
है अनुरागा यों सलोना बंधन,
लो पधारा पर्व ‘रक्षाबंधन'।
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अब की बार होली में!
उल्हासपूर्ण सतरंग सहित,
भिगो देंगे सभी को रोली में,
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एक पगली अनजानी-सी!
कॉलेज का वो पहला दिन, एक पल को आँखें चार हुईं,
थे अनजाने एक-दूजे से वो, फिर अनचाही तक्रार हुई,
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कुदरत का भी अजब दस्तूर है!
जिससे तमन्ना थी बेइंतेहा, रूबरू होने की,
वही सनम हमसे खफा और बहुत दूर है,
मिन्नतें की खुदा से जिसे पाने की, अपनी शरीक-ए-हयात बनाने की,
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ऐ मेरी हुस्न-ए-मल्लिका, मुझे तू उल्फ़त का जाम दे दे,
हसीन तो मिलते हैं कई राह-ए-ज़िंदगी में, मगर
तुझे ही चाहूँ उम्रभर मैं, ऐसा मुझे कोई पैगाम दे दे! !
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