इन आँखों में
एक अनकही सी आस
एक अनबुझी सी प्यास
तुम्हे फिर देखने की मौजूद है अब भी
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Rone ka salika bhi bhula deti hai..
Agar maa yaad aa jaye to Ji bharke rula deti hai...
Jab bhi ab saaye bhi tere mujhe yaad aate hai...
Dil garaj uthata hai maa, aankho me tufaan aate hai...
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तुम्ही में तुम, मुझी में मै, ना हो पाए।
कितनी कौशिशें की मगर कमबख्त हम अलग ना हो पाए।।
ये ख्वाईश जो ना तेरी थी,
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Kis tarah kru byaa, jo hai khfa vo kon hai...
Kis tarah ye du bta, jo hai nhi vo kon hai...! !
Kis tarah kahu O_màa, vo tum hi ho.....
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आप से अनुरोध है ये राजनीति छोड़ दो
कुछ खड़े हैं सूट में कुछ आज भी निर्वस्त्र हैं
क्या बताये किस तरह से देश अपना पस्त है
जनता मरे तो मरे मगर नेता खुदी में मस्त है
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इस कदर ख़ामोश क्यों खड़े हैं बताये कैसे।
चोट जो दिल पर खाई है दिखाए कैसे।।
अब कोई मेरा अपना बनकर मेरे कुनबे का लहू मांगता है
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जिस तरह अंधेरो में कोई जुगनू आस बंधता है
उस तरह दोस्तों से ये जिंदगी रंगीन हुई
दुश्मनी जब भी दोस्ती में तब्दील हुई
कितनी काली क्यों न हो घटा रंगीन हुई
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दर्द कितना क्यों न सही पाँव को उठाना जरूरी होता है।
मंज़िले नामुमकिन ही सही मगर चलते जाना ज़रूरी होता हैll
क्या पता कब किसका तबस्सुम लग जाये इन हाथो को
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सभी के घर, सभी के दिल, सभी के ईमान जिन्दा हैं।
मै जिन्दा हूँ, और मेरा हिंदुस्तान जिन्दा है।l
सभी मज़हब, सभी अल्लाह, सभी भगवान जिन्दा हैं।
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सब लोग उम्र भर मेरी हिम्मत, मेरा हौसला आज़माने के शौकीन रहे!
मंज़िले दूर रही या पास फर्क ही क्या
पड़ा
क्योंकि हम तो मंज़िलो को पाने के शौकीन रहे।
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साँसों के हौशले आज़माकर तो देखो ज़रा,
दो कदम ही सही, कदम बढ़ाकर तो देखो ज़रा l
जिंदगी यूँ ही नही मुँह मोड़ती बहादुर से,
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दूर होकर ही तुमसे, तुम्हारी याद आईl
छाँव से निकले जो तुम्हारी तो, अपनी हैसियत याद आईll
तुमसे दूर होकर ही, कुछ कर गुजर सकता हूँ मैंl
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टूटते लफ्ज़ दिखेंगे तो सितारों पे गौर कौन देगा ।
तुम भी अब झूठी हो तो सच को वफ़ा कौन देगा।।
ये अकेलापन मेरा कही कर ना बैठे खोखला मुझको।
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गरीबी इस तरह हावी है यहाँ कच्चे घरोंदों में
जिस तरह कुहासा हावी हो फागुन के महीने में।।
हाथ हैं सहमे हुए, पैरों में बिवाई हैं
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एक तरफ महल है और बिजली की रोशनाई हैl
एक तरफ मिट्टी का टूटा घर और गोबर की लिपाई हैll
एक तरफ बेमान कुछ ग़ांधी के चेले हैंl
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Tum akele ho is safar me, sda yaad rakhna..
Jao chahe jaha bhi manjilo ko, sda yaad rakhna..
Ye jindgi kabhi dost kbhi dushman bankar raah rokegi, sda yaad rakhna..
Jindagi haraegi or harakar sikhaegi bohot kuchh, sda yaad rakhna..
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Jindagi jindagi jindagi bas ek pal bhar see ho gyi..
Maa tm dur kya huyi mujhse meri jindagi hi kho gyi..
Kya dhundu khusi me maa, kya apne gam par tabsra kru..
Kuchh nhi bcha hai maa, jisko ab mai bya kru...
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Jab apna safar ye hai..
Kisi se fariyaad kya krna..
Kisi se aas kya rakhna..
Jo dariya naap sakte ho..
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Kaali Andheri raato me kahi gum ho gye hote..
Agar ye khwab na hote to ham tum ho gye hote.
Ye safar mera hai mujhe kuchh kar gujarna hai.
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माँ तुम्हारी याद आती है।😢
इन आँखों में
एक अनकही सी आस
एक अनबुझी सी प्यास
तुम्हे फिर देखने की मौजूद है अब भी
मगर
मगर मै जब भी तुम्हे सोचूँ
तो कुछ आँखों से गिरता है
कही पर दर्द होता है
फिर एक वेहम होता है
कही सुनसान कोने से तुम्हारी आवाज आती है
मगर
मगर ये सच नही होता...मगर ये सच नही होता
की अब तुम नही आती
बस तुम्हारी याद आती है
मै जब भी तुम्हे सोचूँ
तो
तो मै हार जाता हूँ
जब भी किसी के सर पर
हाथ माँ का देखू
तो
तो कुछ आँखों से गिरता है
कही पर दर्द होता है
फिर एक वेहम होता है
किसी सुनसान कोने से तुम्हारी आवाज आती है
मगर ये सच नही होता..मग़र ये सच नही होता
की अब तुम नही आती बस तुम्हारी याद आती है
की अब तुम नही आती बस तुम्हारी याद आती हैll
युवा कवि राहुल अवस्थी की कविताओं में देश और समाज की समस्याओं के प्रति चिंता और उनके उन्मूलन के लिये चिंतन भी दिखाई देता है. उनकी भाषा व शैली में प्रवाह है. मेरी हार्दिक शुभकामनायें. Please continue to highlight the evils of our society and be positive in your approach. Thanks and All the Best.
कहानी का वो किरदार हूँ मैं जिसे नफ़रत है इस कहानी से -राहुल अवस्थी
तू भी उनके जैसा निकला जिनसे मुझको नफ़रत थी - राहुल अवस्थी
sar ma aapsa bat karna chata hu 8946904907 aapko yad ha ham bassi memilata