Rahul Awasthi

Rahul Awasthi Poems

Rone ka salika bhi bhula deti hai..
Agar maa yaad aa jaye to Ji bharke rula deti hai...
Jab bhi ab saaye bhi tere mujhe yaad aate hai...
Dil garaj uthata hai maa, aankho me tufaan aate hai...
...

इन आँखों में
एक अनकही सी आस
एक अनबुझी सी प्यास
तुम्हे फिर देखने की मौजूद है अब भी
...

तुम्ही में तुम, मुझी में मै, ना हो पाए।
कितनी कौशिशें की मगर कमबख्त हम अलग ना हो पाए।।

ये ख्वाईश जो ना तेरी थी,
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Kis tarah kru byaa, jo hai khfa vo kon hai...
Kis tarah ye du bta, jo hai nhi vo kon hai...! !

Kis tarah kahu O_màa, vo tum hi ho.....
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आप से अनुरोध है ये राजनीति छोड़ दो
कुछ खड़े हैं सूट में कुछ आज भी निर्वस्त्र हैं
क्या बताये किस तरह से देश अपना पस्त है
जनता मरे तो मरे मगर नेता खुदी में मस्त है
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एक नया तूफान जो बस्ती में आने को है,
मैं बेख़बर हूँ जिससे, उसकी खबर तो ज़माने को है।

लहूलुहान पड़ा है सारा शहर और नज़र हैं आसमाँ की तरफ,
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जब पुराने ख़्वाब धुंधले नज़र आने लग जाएँ
आप भी चन्द नये ख्वाब सजाने लग जाएँll

जिंदगी का ज़हर जब जिंदगी पर हावी हो
...

मुफ़लिसों के आँशु
मजहबो में दरार
ना देख पाया था
वो एक मसीहा था
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अभी तो कई मौसमों कई हवाओ के बाद आएगा
मग़र कोई तो रुत भी आएगी
जब, इस सूखे शजर में खुमार आएगाll
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Jindgi jeene ke kuchh achhe bahane rakhne honge....
Kuchh namumkin si najar aaye esi manjilo pe nishane rakhne honge..

rehna h jinda agar jindgi ki raaho me to..
...

जब रातो का अँधियारापन दिन में घुलने लग जाता है।
जब जीवन का पल पल भारी हो शूलों सा चुभने लग जाता है
जब दुनिया का ये खेल तमासा बेमानी हो जाता है
तब दुनिया भर के लिए हम थोड़े अभिमानी हो जाते है।
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वो दो लाल आँखे

रोड का डिवाइडर
और डिवाइडर के बीच में
...

केतली छींका और वो

चाय से लबालब भरी हुई केतली
केतली के मुहाने पर धसा हुआ सा कागज़ का टुकड़ा
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सब्र और इम्तेहान में रक्खे हैं
चंद दिये जो तूफ़ान में रक्खे हैं
रंजिशें करनी ही हैं तो आजा ज़ोर लगा
हम भी आज खुले मैदान में रक्खे हैंll
...

इस कदर ख़ामोश क्यों खड़े हैं बताये कैसे।
चोट जो दिल पर खाई है दिखाए कैसे।।

अब कोई मेरा अपना बनकर मेरे कुनबे का लहू मांगता है
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जिस तरह अंधेरो में कोई जुगनू आस बंधता है
उस तरह दोस्तों से ये जिंदगी रंगीन हुई
दुश्मनी जब भी दोस्ती में तब्दील हुई
कितनी काली क्यों न हो घटा रंगीन हुई
...

दर्द कितना क्यों न सही पाँव को उठाना जरूरी होता है।
मंज़िले नामुमकिन ही सही मगर चलते जाना ज़रूरी होता हैll

क्या पता कब किसका तबस्सुम लग जाये इन हाथो को
...

सभी के घर, सभी के दिल, सभी के ईमान जिन्दा हैं।
मै जिन्दा हूँ, और मेरा हिंदुस्तान जिन्दा है।l

सभी मज़हब, सभी अल्लाह, सभी भगवान जिन्दा हैं।
...

सब लोग उम्र भर मेरी हिम्मत, मेरा हौसला आज़माने के शौकीन रहे!
मंज़िले दूर रही या पास फर्क ही क्या
पड़ा
क्योंकि हम तो मंज़िलो को पाने के शौकीन रहे।
...

साँसों के हौशले आज़माकर तो देखो ज़रा,
दो कदम ही सही, कदम बढ़ाकर तो देखो ज़रा l

जिंदगी यूँ ही नही मुँह मोड़ती बहादुर से,
...

The Best Poem Of Rahul Awasthi

Meri Maa

Rone ka salika bhi bhula deti hai..
Agar maa yaad aa jaye to Ji bharke rula deti hai...
Jab bhi ab saaye bhi tere mujhe yaad aate hai...
Dil garaj uthata hai maa, aankho me tufaan aate hai...
Ye aankhe aaj bhi tumhari vapsi ki ummeed rakhti hai...
Mujhe pta hai maa tu dekhkar mera bachpna hasti hai..
Maa ab jab bhi tu milti hai mujhse itna rulati kyu hai..
Tutata hai jese hi sapna mujhe chhod jati kyu hai...
Ab to ek hi sapna hai maa jo me chahta hu sach ho jaye...
Mile kisi roj tu sapne me or tabhi jeevit ho jaye...
Or tabhi jeevit ho jaye...

Rahul Awasthi Comments

prince tiwari 20 April 2018

sar ma aapsa bat karna chata hu 8946904907 aapko yad ha ham bassi memilata

1 0 Reply
Rajnish Manga 14 August 2016

युवा कवि राहुल अवस्थी की कविताओं में देश और समाज की समस्याओं के प्रति चिंता और उनके उन्मूलन के लिये चिंतन भी दिखाई देता है. उनकी भाषा व शैली में प्रवाह है. मेरी हार्दिक शुभकामनायें. Please continue to highlight the evils of our society and be positive in your approach. Thanks and All the Best.

3 0 Reply

Rahul Awasthi Quotes

कहानी का वो किरदार हूँ मैं जिसे नफ़रत है इस कहानी से -राहुल अवस्थी

तू भी उनके जैसा निकला जिनसे मुझको नफ़रत थी - राहुल अवस्थी

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