Why Far Away? तुम दूर क्यूँ हो? Poem by Alok Agarwal

Why Far Away? तुम दूर क्यूँ हो?

तुम दूर क्यूँ हो?
मैंने तो जाने को नहीं कहा था
फिर तुम क्यूँ चली गयी

इंतज़ार तो द्देखो मेरा
क्या तरस नहीं आई मुझपे
जो इस तरह छोड़ के चली गयी

क्रुन्दन करती हैं आँखें मेरी
सावन भी जलता होगा मुझे देखकर
तुम को लगता है मुझे बुखार है

तन्हाई में भी रुसवाई है
अकेला पाकर साया भी धमकाता है
लगता है तुमने कोई नयी रीत चलायी है

चाँद से नहीं है कोई वास्ता मेरा
सुनकर खुश होता है सूरज
बिना जलाये जो जलता है दिल मेरा

बाट कि तलाश में है जिगर मेरा
घरोंदे में सेंध लगने का करता है इंतज़ार
हवा ने दरवाज़ा खडकाया होगा

मोहब्बत कि आरज़ू है
जलकर ख़ाक हो जाना
निगाहों को ठहरा देना कातिल हमारा

जो घर का पता भूल जाओ
तो बता देना बस एक बार
तोड़कर बना दूंगा नया घर दोबारा

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Alok Agarwal

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Allahabad
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