करते रहे मौत से हम सौदा ज़िन्दगी का
और मौत ने हंसकर कहा आख़िरत में हिसाब दूँगी
लगे रहे ता उम्र हम जिसकी फ़िराक़ में
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आपकी यह नज़्म नायाब कही जायेगी. इसमें ज़िन्दगी के विविध रूपों का वर्णन किया गया है. नीचे की पक्तियाँ mythology से प्रभावित हैं और कविता में मनमोहक रूप से प्रयोग की गयी हैं: अब न हम जुम्बिश की ताब रखेंगे कभी हौज़े कौसर में ज़म ज़म का सैलाब आया
Awesome ghazal, so you are an all rounder.......Wonderful conversation between life and death.
अरमानो के बुलबुले कब फूटते चले गए मिली जो भी मोहलत दिन गिनने में गुज़र गए....good lord you write so beautiful, , i can simple say amazing words are less to explain your work, , loved it loved it