नन्ही परी (खण्ड क) Poem by Tulsi Shrestha

नन्ही परी (खण्ड क)

नन्ही परी----- (खण्ड क)
पहली किरण तू, उगता सूरज का
मक्सद बना तू , हमारी जीने का ।।

खिलती कली तू, हमारी चमन का
बरसती मेघा तू, उजाड़ ज़मीं का ।।

निकली सरगम, तुतलाती ज़ुबान से
गूंजी हमारी अंगना तेरी किलकारी से ।।

नटखट तेरी मासूम सब अदाएँ
नयन हमारी देखने को ललचाए ।।

शरारत तेरी, हमे इतना भाए
मुग्ध मगन दिल झुमकर गाए ।।

तुझे लगा हमार गोड़ तेरी सब से प्यारा
वात्सल्य की मूरत तू हम सब का दुलारा ।।

मनमोहक तेरी बाल क्रीड़ाए देखकर
सकून मिलता तेरी साथ बच्ची बनकर ।।

नन्हे हाथों से जब तू हमार चेहरा सहलाता
खुशी से मारे, नयन हमार यूँही भरआता ।।

तोडकर खिलौना, खुस होकर तू ने ताली बजाया
तेरी लीला की गाथा, हम ने प्रियजन को सुनाया ।।

धरती तल का सब मानव तुझे चूमना चाहे
निश्छल निष्पाप मंद मुस्कान तेरी इतना प्यारे ।।

बोलू मैं अब तुम संग हमारा नाता ये कैसा
मैं कहूँ, जीवन से सासोँ के साथ जैसा ।।

दिल की धड़कन से, खुशबू से फूलों का वास्ता
संगम बना हम, ममता करुणा और वात्सल्य का ।।

रचनाकार ः---तुल्सी श्रेष्ठ
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2024-7-25 11.57 am

नन्ही परी  (खण्ड क)
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