मैंने.. हर रोज.. जमाने को.. रंग बदलते देखा है....उम्र के साथ.. जिंदगी को.. ढंग बदलते देखा है..! ! वो.. जो चलते थे.. तो शेर के चलने का.. होता था गुमान..उनको भी.. पाँव उठाने के लिए.. सहारे को तरसते देखा है! ! जिनकी.. नजरों की.. चमक देख.. सहम जाते थे लोग..उन्ही.. नजरों को.. बरसात.. की तरह ~~ रोते देखा है..! ! जिनके.. हाथों के.. जरा से.. इशारे से.. टूट जाते थे..पत्थर..उन्ही.. हाथों को.. पत्तों की तरह.. थर थर काँपते देखा है..! ! जिनकी आवाज़ से कभी.. बिजली के कड़कने का.. होता था भरम..उनके.. होठों पर भी.. जबरन.. चुप्पी का ताला.. लगा देखा है..! ! ये जवानी.. ये ताकत.. ये दौलत ~~ सब कुदरत की.. इनायत है..इनके.. रहते हुए भी.. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है...! ! अपने.. आज पर.. इतना ना.. इतराना ~~ मेरे.. यारों..वक्त की धारा में.. अच्छे अच्छों को ~~मजबूर हुआ देखा है..! ! ! कर सको......तो किसी को खुश करो......दुःख देते........तो हजारों को देखा है...
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