कितनी कोशिश की के चेहरा ना उदास आए मुझे,
फिर भी आईना हमेशा बेनक़ाब आए मुझे।
लोग कहते हैं यहाँ हर दर्द का होता इलाज,
पर दुआ के बाद भी क्यों बेहिसाब आए मुझे।
तेरे जाने की सज़ा रोज़ मिली है दिल को,
जैसे हर साँस में तेरी ही ख़राब आए मुझे।
रात ढलते ही वो आवाज़ें बहुत तंग करें,
ख़्वाब टूटा तो नया ज़ख़्म ख़िताब आए मुझे।
अब तो हँसते भी डर लगता है 'यश', रो न पड़ूँ,
ज़िंदगी तेरे बहानों से अज़ाब आए मुझे।
By - The Yash Pathak
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