Monday, May 13, 2024

लड़खड़ाते से कदम Comments

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सभी के लिए क्यों नहीं, सर्वदा रास्ता खुला सा हो?
अपने अपने किस्से-कहानियां, बयां खूब करने को!
चलने का हो अधिकार, भले ही कदम कितने ही भटकें हो!
अपना अपना जीवन, अतरंगी - सतरंगी जीने को!
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Saroj Gautam
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