इस खूबसूरत कविता में रंगों और मुखौटों के माध्यम से आपने आज के समाज में स्वार्थ व इंसानी रिश्तों की कड़वी सच्चाई को रेखांकित किया है तथा सब प्राणियों में मनुष्य के सर्वश्रेष्ठ होने की अवधारणा पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. यह हमें बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है. धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
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इस खूबसूरत कविता में रंगों और मुखौटों के माध्यम से आपने आज के समाज में स्वार्थ व इंसानी रिश्तों की कड़वी सच्चाई को रेखांकित किया है तथा सब प्राणियों में मनुष्य के सर्वश्रेष्ठ होने की अवधारणा पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. यह हमें बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है. धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.
Abhar sah hardik dhanyvad bhai..is kavita par bhi aapke etane achhe vicharon ke liye.