तेल और गैस बचाव पखवाड़े की शुरवात 1991 मे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के मार्गदर्शन मे हुई थी| पहले ये कार्यक्रम एक हफ्ते का होता था, जिसकी अवधि 1997 मे दो हफ्ते कर दी गयी| इस वर्ष 2017 से इसकी अवधी बढ़ा कर 1 महीने कर दी गयी है।
आज के वैश्विक परिवेश मे किसी भी देश कि सामाजिक और आर्थिक तरक्की के लिए ऊर्जा का उत्पादन और उसका सही तरीके से इस्तेमाल बहुत ही आवश्यक है| हमारा देश अपनी ऊर्जा के लिए काफी हद तक जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) पर निर्भर रेहता है, जिसमे पैट्रोलियम उत्पादों का एक विशेष योगदान है| भारत मे पेट्रोलियम की खपत बहुत तेजी से बढ़ रही है| पेट्रोलियम की खपत 1950-51 मे 3.5 MMT थी जो 2013-14 मे बढ़कर 158.2 हो गयी और 2021-22 मे इसकी खपत 245 MMT तक पहुँचने का अनुमान है|
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