महके Poem by Narender Singh Bansal

महके

हम तुम्हें देखें
तुंम हमे देखो
इस देखा देखी में
जाने कौन
किसको
कितना देखे

फूल तब ही
महके
जब किसी का
दिल बहके

बगिया तभी महके
जब भँवरा कली कली
बहके

देखा जब हमने
आसमान से शहर को
वो भी बगिया सा ही महके
जाने कौन किसको देखे
जाने कौन बहके
जाने कौन महके

हम तुम्हें देखें
तुंम हमे देखो
इस देखा देखी में
जाने कौन
किसको
कितना देखे

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Lifes insight
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success