Motivational Ghazal Poem by Rahul Awasthi

Motivational Ghazal

एक नया तूफान जो बस्ती में आने को है,
मैं बेख़बर हूँ जिससे, उसकी खबर तो ज़माने को है।

लहूलुहान पड़ा है सारा शहर और नज़र हैं आसमाँ की तरफ,
लगता है कि जैसे कोई मशीहा आने को है।

अब भला किससे कहा जाये की वो घर सवारे टूटे हुए
यहाँ जितने हातिम हैं, जब वो ही घर जलाने को है।

कौन हो तुम, तुमसे मेरा वास्ता ही क्या है
खैर ये सब तो बस दिखाने को है।

अबकी कई दिन से मुझे चैन ही नही पड़ता
शायद कोई है मुझमे, जो मुझे छोड़ जाने को है।

Wednesday, December 20, 2017
Topic(s) of this poem: motivational
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