Tuesday, June 13, 2017

Motivation Ghazal Comments

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सब्र और इम्तेहान में रक्खे हैं
चंद दिये जो तूफ़ान में रक्खे हैं
रंजिशें करनी ही हैं तो आजा ज़ोर लगा
हम भी आज खुले मैदान में रक्खे हैंll
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Rahul Awasthi
COMMENTS
Rajnish Manga 13 June 2017

ग़ज़ल विधा में आपका प्रयास अच्छा है. अभिव्यक्ति सुंदर है. ग़ज़ल के स्वरुप को संतुलित करने की ज़रूरत है. धन्यवाद व शुभकामनायें.

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