Motivation Ghazal Poem by Rahul Awasthi

Motivation Ghazal

सब्र और इम्तेहान में रक्खे हैं
चंद दिये जो तूफ़ान में रक्खे हैं
रंजिशें करनी ही हैं तो आजा ज़ोर लगा
हम भी आज खुले मैदान में रक्खे हैंll
ये अलग बात है तुम्हे देखा नही कई दिन से मग़र
तुम्हे ही देखने के ख्वाब पाल रक्खे है
ये उसकी मजबूरियां ही जाने वो क्यों बदला है मगर
यहाँ लोगो ने उसके कई नाम रक्खे है

Tuesday, June 13, 2017
Topic(s) of this poem: motivation,motivational
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
My words my motivation
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 13 June 2017

ग़ज़ल विधा में आपका प्रयास अच्छा है. अभिव्यक्ति सुंदर है. ग़ज़ल के स्वरुप को संतुलित करने की ज़रूरत है. धन्यवाद व शुभकामनायें.

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