मुफ़लिसों के आँशु
मजहबो में दरार
ना देख पाया था
वो एक मसीहा था
जो भूखे किसान
ना देख पाया था
जो आज मुनव्वर है हर और
कल तक बस
एक शजर का साया था
खून दिया था मिट्टी को
फिर ये आसमां बनाया था
बस अपने ख़ुलूस
अपनी खुद्दारी के दम पर
जिसने आसमां झुकाया था
वो एक कोरा सच था
और उसने हर रास्ता
सच से बनाया था।
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