खुद को पत्थर मान अगर तुम शीशे से टकराओगे
इस संसार रुपी राजनीति में तभी तुम नेता कहलाओगे
सम्मुख कोई भी हो वो भी तो इंसान है
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Leaders of the day, well defined. Thanks for sharing.10 points.
जीवन का व्यवहारिक ज्ञान निहित है आपकी इस कविता में. बहुत सुंदर. धन्यवाद. बाधा कुछ भी हो खुद में वो अपना हल रखती है
Wish I could read your poem. RoseAnn