क्यूँ न एक दिन छाता लेना भूल जाएँ
शायद उस दिन
बारिश में भीगना सीख जाएँ
मोर को हराना
ज़िन्दगी को जीना
कागज़ी नाव तैराना
केंचुए कि तरह फिसलना सीख जाएँ
क्यूँ न एक दिन फ़ोन करना भूल जाएँ
शायद उस दिन
लोगों से मिलना सीख जाएँ
गुफ्तगू करना
दोस्त बनाना
अन्ताक्षरी करना
सुनहरी सलोनी यादें सजोना सीख जाएँ
क्यूँ न एक दिन ऑफिस जाना भूल जाएँ
शायद उस दिन
आज़ाद विचरना सीख जाएँ
बेड़ियों को तोडना
परिवार से मिलना
किताबें पढना
ख्वाशियों को पर लगाना सीख जाएँ
क्यूँ न एक दिन मयखाने में जाना भूल जाएँ
शायद उस दिन
होश में रहना सीख जाएँ
मुसीबतों से लड़ना
आत्म-निर्भर होना
बहारें निहारना
गम को हंसी में बदलना सीख जाएँ
क्यूँ न एक दिन उनको गुलाब देना भूल जाएँ
शायद उस दिन
इशारों में बातें करना सीख जाएँ
आँखें मिलाना
हाथ पकड़ना
सर टकराना
दिल से दिल कि बातें करना सीख जाएँ
फिर सोचेंगे कि क्या भूले हैं
और क्या याद है
एक बार तो छाता लेना भूल जाएँ
एक बार तो बिन कहे बोलना सीख जाएँ
एक बार तो बिन कहे बोलना सीख जाएँ
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