Kuch To Baat Hai Poem by Alok Agarwal

Kuch To Baat Hai

कुछ तो बात है

देखते हो जो तुम आईने को बाराम बार,
कभी-कभार हमही से पूछ लो कि कैसे लग रहे हो
सच कह रहे हैं कि हम झूठ न बोलेंगे
जो आईना कहेगा, हम उससे ज़्यादा ही बोलेंगे

स्वप्न मे तो देखा था पारियों को,
पर जब तुमको देखा तो वो नक्श ही विलुप्त हो गया|

लिखने तो कुछ और चला था,
पर खयाल तुम्हारा आ गया,
सोचता हूँ कि तुमको देख कर ही कुछ तो लिख दूँ,
पर जब दीदार हुआ तो ख्याल, बे-ख्याल हो गया|

किसी ने पूछा कि जन्नत का रास्ता किधर से जाता है,
पंडित ने पकड़ाई कुरान और हमने नाम तुम्हारा ले लिया

लोग तो यूं ही डालेंगे मेरे काम मे खलल,
फिर भी जाते-जाते हमने नाम तुम्हारा ले लिया|

कुछ तो बात है,
वरना यूनही हमने काम के आगे नाम तुम्हारा क्यूँ ले लिया|

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