Tuesday, August 27, 2013

कल्पना के कोरे कागज़ पर (KALPANA KE KORE KAGAZ PAR) Comments

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कल्पना के कोरे कागज़ पर लिखा हमने अपना पता,
भावनाओं के वितानों मैं छुपा कर, रच ली कैसी परिकल्पना,

हर स्वपन देखा इस रूचि से, सम्पूर्ण तो हो ही जाएगा,
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Nirvaan Babbar
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