Jara Pyar Karke Dekh Poem by Upenddra Singgh

Jara Pyar Karke Dekh

जज्बात है गर दिल में तो इजहार करके देख.
ऐसी भी बुजदिली क्या जरा प्यार करके देख.

ज़िन्दगी तेरी ये खुशिओं की ग़ज़ल गायेगी.
दिल से जरा दिल को पुकार करके देख.

ये जो मुहब्बत है ये मुर्दों को जगा देती है.
किसी दिल पे ‘सुमन'अपना अधिकार करके देख

मंजिल तेरे क़दमों में खुद आयेगी चलके.
हिम्मत जुटा ‘सुमन' तू आर-पार करके देख.
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन'

Tuesday, July 15, 2014
Topic(s) of this poem: love
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