तुम तो सचमुच में हो मेरी जान जानां Poem by Janid Kashmiri

तुम तो सचमुच में हो मेरी जान जानां

दिल में क्यों रखते हो तुम इतना मलाल जानां
क्यों नहीं समझते तुम मेरा हाल जानां

तुमको तो जान बोलता हूँ, ये सिर्फ लफ़्ज़ नहीं है
तुम तो सचमुच में हो मेरी जान जानां

मेरी मोहब्बत का यकीन क्यों नहीं करते तुम?
क्यों अपने दिल में रखते हो ये सवाल जानां?

हर लम्हा तुम्हारे ख़याल में गुज़रता है
ये फ़राक़ की रातें, ये अंधेरा है बेमिसाल जानां

तुम्हारे बिना ज़िंदगी है अधूरी, ये समझो
तुमसे ही है मेरा वजूद, मेरा हाल जानां

शाइस्ता, मेरी जान, तुम मेरी हो सिर्फ़ मेरी
तेरे बगैर मिट जाए जानिद का नाम जानां

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