मुरगे ने बांग दी, सुबह हो गई
माँ ने उठाया, सुबह हो गई
सूरज उगा, सुबह हो गई
जब मेरी आत्मा ने कहा,
...
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Nice one...सिर्फ मछली की आँख nice poem..10 मम्मी ने कहा और पापा ने हामी भर दी आपने सुना, समझा और कमी दूर कर दी एक ही मंसूबा आपने बनाना है सिर्फ मछली की आँखको देखकर निशाना लेना है
आपकी बहुत ही अच्छा लिखती हैं । लेखन जारी रखें । इस कविता की गहराई में मैने पाया, भीड़ में तुझे अपनेअाप को पहचाना है, चलो उठो एक नई शुरुअात करें,10+++++
Gauri, A very exciting poem, as refreshing as a subah. One of your expressions I found very very very interesting and lovely: Suraj UGA, beautiful kalpana; exquisite. Congratulations for that one. Do continue writing. We want more!
नई सुबह की नई किरणें जीवन के लियेे नई पैगाम लाती है । हर सुबह से जीवन की नई शुरूआत होती है । Thanks for inviting.
अद्वितीय अभिव्यक्ति. हर नई सुबह और हर नया दिन एक नई शुरुआत का प्रतीक है.... 'चलो उठो दोस्त.... कुछ करना है, कुछ पाना है...' आपने इस तथ्य को बहुत खूबसूरती से अपनी कविता में दर्शाया है. धन्यवाद, गौरी जी.