अभी तो साँझ ने आकर महज़ दस्तक दी है
अभी पंछियों का घौसलों में लौटना बाक़ी है
अभी सूरज कि शाओं में कुछ हरारत बाक़ी है
अभी तो चाँद ठहरा है, ज़रा तुम भी ठहर जाओ
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Wah wah ज़बान पे आते आते एक बात ठहरी है आँखों में उतरने के लिए एक बारात ठहरी है उमंगें, तरंगे, अरमान और आरज़ूएं ठहरी हैं ज़बीं पर बल बाक़ी है, ज़रा तुम भी ठहर जाओ
रचना पढ़ते हुये ऐसा लगा जैसे प्रकृति ने अपने तमाम आकर्षणों को गूंथ कर एक खुशनुमा नुमाइश आयोजित है जिसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को रोकने का आग्रह करता है ताकि वक़्त रहते इसका आनन्द उठाया जा सके. एक अति उत्तम रचना. धन्यवाद, असीम जी.
Very well written and expressed every emotions and feelings. Admirations.
वाह, बेहतरीन ज़रा ठहर जाओ, अभी बातें बाकी है वो मुलाकातें बाकी है ज़रा ठहर जाओ 1000++
Many things have not happened and one by one things will come into existence. Everything right will happen here. Night to light we have to witness. An amazing poem is excellently penned...10