न तू कभी बनके रहना एक नींव का पत्थर,
तुझे तो बनते जाना है एक मील का पत्थर,
तेरी हर कठोरता में, मै तो बस यही देखूं
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Ka baat hai.... Sublime true face of humanity nicely explored.10+ जो हम तुम लड़ पड़े शायद किसी मसले मसाइल पे, तेरे भी हाथ में पत्थर, मेरे भी हाथ में पत्थर
इस शहर ने तो तेरी इज़्ज़त ही बढ़ा दी है, यहाँ मकान भी पत्थर, यहाँ इंसान भी पत्थर किसी ने बुत तराशे हैं, इन पत्थरों से यहाँ कहीं भक्त है पत्थर, कहीं भगवान् है पत्थर.... //.... अत्यंत प्रभावशाली ग़ज़ल जिसमे इंसान और पत्थर के परस्पर बीच के रिश्तों को बारीकी से देखा गया है. अहमियत दोनों की अपनी अपनी जगह पर कायम है. जहा पर पत्थरों के हवाले से इंसान की समझ पर दृष्टिपात किया गया है वहां उसका खोखलापन ही अधिक उजागर होता है. धन्यवाद असीम जी.
I translated it and seems pretty good. Just pass through this city, my friend A stone in every stumbling block, a stone in every road You and I may have fought on some issue, Stone in your hand, stone in my hand too