समझा दो भला कैसे
मजबूर हो इतना
जो तुम बिन जी नही सकता
उसी से दूर हो इतना
क्यूँ दिल तेरा मुझको
खुद के नाक़ाबिल समझता है
हमारा हाल कैसा है
ना अब तुम्हारा दिल समझता है
बिखर कर मैं अगर रोऊँ
मिलेगा क्या भला मुझको
कि तुम पत्थर की मूरत हो
पता ये चला मुझको
तेरी पूजा करूँ गर मैं
तो तू जाहिल समझता है
हमारा हाल कैसा है
ना अब तुम्हारा दिल समझता है
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