इंसान का अकेलापन इंसानको क्या क्या सोचनेके लिए मजबूर करते रहता है यहकुछ कल्पना सी की मैंने और जो शब्द आते गए वो मैंने आपके सामने रखे हैं एक कविता के रूप में. कोई त्रुटी हुई हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ.
खुद को डुबो देते हैं नशे में ग़म में और तन्हाई में
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बचने को एक मुसीबत से उतरे हैं दूसरी खाई में वक़्त की बहती नदी है- किनारे ज़िंदगी और मौत हैं ग़म कटे बदली हवाएं और खुशियाँ आ गईं जब सांसे हुई पूरीऔर मौत ने बाहें फैलाई.... //.... कविता में जीवन के विविध रूप और उतार चढ़ाव नज़र आते हैं, परेशानियाँ हैं और उनसे पार पाने के उपाय भी हैं. लेकिन मालूम होता है कि अंततः मृत्यु ही मनुष्य के लिए सबसे बड़ी सुखदायक स्थिति है. इतने जटिल विषय को आपने बड़ी दक्षता से प्रस्तुत किया है. बहुत बहुत धन्यवाद बहन पुष्पा जी. Excellent poem.
Excellent poem kahkar aapne is poem ko sahara bhai bahut abhari hun.. Bahut bahut dhanywad bhai