Wednesday, April 11, 2018

देखी तेरी कासी Comments

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हमारे भीतर का अँधेरा हमारी कँखौरियों तले छुपा होता है
किसी-किसी रात हम जुगनू भी नहीं होते
हवा की परछाईं कांपती है मेरे रोमों पर
मन के मैदान पर बेतरतीब उगी घास छंटने को अनमनी है

पृथ्वी ने थाम रखा है चंचल शेष को
शेष मेरे बीते समय का अवशेष है

मुस्कान क्या है धीरे-धीरे फैलती एक सीमित दूरी के सिवाय
चुंबन धीरे-धीरे गोल होती एक दूरी है

भीतर जो शोर उठता है
वह तुम्हारे न होने का डाकिया है अपनी साइकिल टिनटिनाता
मेघों को जल से भरने का दायित्व मुझ पर है
स्वीकार है मुझे अब सहर्ष सगर्व

कोई तुमसे इतना प्रेम करेगा
कि प्रेम कर-करके तुम्हारा नुक़सान कर देगा
तुम कुछ कह भी नहीं पाओगे
हर आघात के बाद वह पूछेगा
तुम प्रेम में भी नफ़ा-नुक़सान देखते हो

एक दिन तुम वह बादल बन जाओगे जो ज़रा-से आघात से रो देता है

एक मौन पेड़ मुझे देखता रहता है
चाहे कितना भी दूर क्यों न चला जाऊँ
इतिहास गवाह है
ज़ालिमों को अत्यंत समर्पित प्रेमिकाएं मिलती हैं

जा रे ज़माना
देखी तेरी कासी
जहाँ मालिक भी खलासी
...
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Geet Chaturvedi
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Geet Chaturvedi

Geet Chaturvedi

Mumbai / India
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