मुद्दतों बाद देखा उसे आज वहीं पुरानी गलियों में
फरक सिर्फ इतना था उसका Figure खराब था मेरा Liver..
नज़रे मिली फिर हटी फिर मिली और फिर उसने मुड़ कर देखा..
फिर चली गयी वो खामोश नज़रे लेकर और पीछे छोड़ गयी ठेका..
ख़रीद लेता था कभी तेरे लियेे गुलाब, आज उन्हीं हाथों मे आ गयी शराब..
आजतक पी ही रहा हूँ कभी दिन ढलने से पहले, कभी दिन ढलने के बाद..
के भटक रहा हूँ तेरे इश्क़ के नशे में कबसे..
कितनी आयी कितनी गयी, नही मिला अबतक कोई शिविर..
मुद्दतों बाद देखा तुझे, वही पुरानी गलियों में, तेरा Figure खराब था मेरा लीवर..
मेरा नाम मेरी शोहरत् सुनकर ये मत सोचना, के अब मैं एक व्यापारी हूँ..
माना दिन में शराब् बेचता हूँ, रातों में आज भी तेरा लीखारी हूँ..
तेरी यादों के सहारे बड़ा पैसा कमाया है, बड़ी गाड़ी ख़रीदी है, नया घर बनाया है..
फिर भी कभी तन्हाईयो में महसूस होता है, के सब कुछ बनाने में 'गगन', तू अपनी आत्मा बेच आया है..
के तस्सल्ली भी कर लेता अगर वो आदमी मेरी बराबरी का भी होता..
जिसके लिए उसने मुझे छोड़ा, I swear..
के मुद्दतों बाद देखा उसे, उसका Figure खराब था मेरा Liver..
उसका Figure खराब था मेरा लीवर..
मेरा Liver..
© Gagan Khurana
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