फितरत
गुरूवार, ७ मार्च २०१९
इंसान को हमेशा तमन्ना रहती है
"मुझे सदा मिले" यही कामना सदा रहती है
उसके लिए करता है भरपूर प्रयास
और सफलता भी मिल जाती है अनायास।
फिरभी उसके मन में उठती है ज्वाला
ख़ुशी नहो होती उसे जो भी मिला
"कुछ और" मिलने की रहती सदा उम्मीद
बस दिलाती रहती उसे सदा याद।
हर इंसान की है ये फितरत
वो बदल लेता रंग तुरंत
नहीं रखता किसी पर भी भरोसा
फिर सब दे जाते उसे झांसा।
इंसान तो ना बन सका
बस बहाता रहा मासुंमो का खून
उसमे आ जाताअलग सा जूनून
फिर वो हो जाता इंसानियत का दुश्मन।
जलते रहना उसका बन चुका स्वभाव
पर ना जाहिर करता मन के भाव
अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर देता
फिर अपने को कोने में बैठकर कोसता रहता।
हसमुख मेहता
Haan kuch adhir paane ki tamanna insaan ko swarthi bana deti hai, Bahut badiya.10++
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