मधुर विवाह Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

मधुर विवाह

मधुर विवाह

1
विवाह
अदृश्य योजना
भूत भविष्य अनिश्चित
अदर्शनीय
कुछ कहते
पूर्व जन्मार्जिता
किंतु विधान विधायक का
सर्वदा सुप्रसन्न
मंगलकारी।

2
अज्ञेय
अज्ञात
अजन्मा
किंतु सनातन
निरवधिक
निर्विकार
निर्विकल्प
आत्मा परमात्मा मिलन सम
जीवात्मा परमात्मा मिलन प्रमाण
परे काल दूरी।

3
न कोई संबंध
लेकिन पूर्ण बंधन
अग्नि साक्षीभूत
शेष अग्निभूत
कर्म अंगीकार
विशेष निस्सार निःसंदेह
जन्म कर्म आधार
विहीन सब आधार।

4.
शरीर न प्रधान
विहीन विभिन्न अवधान
संशयग्रस्त जगत अवधारणा
विवाह उपासना
भक्ति रस भावना
समर्पण विधानसभा
कुशल संचालन प्रतिभा
संसार मोह प्रक्रिया
सहज जगत विशेष प्रतिक्रिया।


5.
दो बिछुड़े जब मिले
अनंत सुंदर सुमन खिले
नवजात कली समान
सुरभित बन उठे उद्यान
हुआ सबका नव विज्ञान
गूंज उठा नवल विज्ञान
नर नारी नृत्य साज
चहचहाने लगे गंधर्व समाज।

6
मन मिलन प्रमाण
प्रकृति ने फूंके प्राण
बस गया परित्राण
संसार संस्कृति त्राण
परिवार प्रियतम स्वरुप
दैनिक जागरण अनूप
सर्वदा शुक्ल पक्ष
कभी न अमावस्या रक्ष।

7
संसार तीन ईषणा
यह सनातन घोषणा
संतान संपत्ति संस्कृति
पुन्न रु त्रायते'
वामांग रोक सकता संहार
सती सावित्री कथा
सात जन्मों का नाता
पुकारते यही वेद विधाता।

8..
विवाह एक आदर्श
संसार संस्कृति विमर्श
समाज समान अनिवार्यता
हिंदू धर्म आवश्यकता
समाजवादी कविता पुकारते
कभी न कोई नकारात्मक मानते।
जीवन मंत्र मूल रूप
ग्राह्य न कभी अनिश्चित ।


9.
विवाह संस्कृति षोडश संस्कार स्वरुप
पावन बंधनों का मधुर भूपेंद्र अनूप
वंश संस्कार संसार विश्व अनुपमेय
मन धर्म कर्म वचन का निर्माण ध्येय
निष्पाप निष्पक्ष निःसंदेह परम पद
आशीष प्रदान करते शुचि संत मत।


10
विवाह: एक उपासना
पवित्र आराधना
आत्माओं का सहज मिलन
जीवन अविरल संस्मरण
स्मरणीय आजीवन
सात जन्मों का संकल्प
विधाता विधान निर्विकल्प,
अ *अनुपमा अनुपमेय
ओ *ओम् सर्वदा अवश्यमेव
सदा सुखी रहें
यही मनोकामना
'नवीन'परिवार संतत साधना 🙏🙏❤️🙏🙏



'नवीन'

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