एकादशी श्री हनुमान चालीसा
श्रीसीताराम कृपा किये आनंद मन अन्हवाय
करौं मारुति वंदन नमन, मुदित चित्त हुलसाय।
जय जय हनुमान बजरंगी
श्रीसीताराम नाम रंग रंगी।
बजावत करताल नृत्य करि।
सीताराम नाम संकीर्तन करि।१
अंजना मातु लखत पुलकित।
केशरी पिता हिय अति मुदित।
शोभित शीश सीता नाम भाला।
श्री राम नाम चित्र हृदय विशाला।२
सुंदर शीश धनुष-बाण सुभ्राजत।
पिंगल नयन अंजनि पेखि लजावत।
प्रथम नयन भास्कर किरण परतहिं।
भयेऊ निहाल हर्षित मन तुरंतहिं।३
गगन मार्ग निज पग बेगि पधारेऊ।
श्रीगुरु रविवर पद पद्म शीश डारेऊ।
जय जयकार श्रीगुरुदेव परम सुसंता।
तुम्हारे कृपा सं मिलि सकत श्रीअनंता।।४
मोहि कृपा करि श्री राम मंत्र सुनावहु।
द्वादश तिलक मोरे शीश तुम डारऊ।
जपौं सदा श्री सीताराम मंत्र नाम रामा।
बसैं मन सदा नित्य विहार अभिरामा।।५
श्रीरविकुल गुरुदेव कारुणिक सुभाऊ।
कबहुं न प्रणत सन कछु करत दुराऊ।।
सकल शास्त्र ज्योतिष व्याकरण संगीता
सुनायेऊ सकल सहज स्वभाव सुपुनीता।६
तकन लगे श्रीराम सुभग पल अवतारा।
कब होईहैं श्रीहरि दर्शन शोभा सुख सारा।
नाचत गावत राम नाम सुखदाई उमंगित।
रोम रोम भरि सदैव स्नेह संग पुलकित।७
जय जय जय श्री हरिहर हनुमान गोसाईं ।
अस सुख पर भगत बारंबार बलि जाई।
श्री सीताराम नाम बसै मोरे हृदय अयना
श्रीसीताराम चरित्र सदा शोभैं हिय भवना।८
तुम्हारे कृपा मोहि मिलेऊ मानुष शरीरा
निष्काम भजन बाधक जगत बंधन पीड़ा।
मन मोह भरि इत ऊत हमेशा भटकत।
जगत बंधन मन बदन आतप ताप सहत।९
निज जन कृपा करि तुम सदैव संभारा।
प्रभु बांह पकड़ि मोहि भरि लेहु अंकवारा।
हे हे हे प्रणत कृपालु प्रतिपाल भगवन्ता!
'नवीन'शिशु कृपा करहु श्रीगुरुदेव सुसंता।।१०
आर्त चित्त पेखि कृपा करहु, भोरेहि द्वारेहि पाय।
पाहि पाहि पाहि! कृपा करहु, बिनवऊं बारंबार शिर नाय।।
जय जय श्री सीताराम हनुमानजी गोसाईं।
कृपा करहु हे करुणाकर! श्रीगुरुदेव अघाई ।।
'नवीन'
निर्जला एकादशी
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem