देखने वाले न जाने क्या-क्या देख रहे हैं
कोई कातिल को, कोई उसके शिकार को देख रहे हैं
हम तो हैं नादान, किस्मत-ए-खंजर देख रहे हैं
कोई बाज़ार को, कोई उसके खरीददार को देख रहे हैं
हम तो हैं बुत, मंज़र-ए-आदम देख रहे हैं
कोई चित्रकार को, कोई उसकी चित्रकारी को देख रहे हैं
हम तो हैं शौक़ीन, तस्कीन-ए-तसव्वुर देख रहे हैं
कोई बादल को, कोई कड़कती बिजली को देख रहे हैं
हम तो हैं खामोश, ख़िदमत-ए-जादूगर देख रहे हैं
कोई नजाकत को, कोई उनकी मासूमियत को देख रहे हैं
हम तो हैं आशिक़, आतिश-ए-आडम्बर देख रहे हैं
कोई दुल्हे को, कोई दुल्हे कि ब्याहली को देख रहे हैं
हम तो है बेज़ार, बवाल-ए-सितम्गर देख रहे हैं
कोई मौलवी को, कोई बनावटी पुतलों को देख रहे हैं
हम तो हैं काफिर, उल्फत-ए-पैगम्बर देख रहे हैं
कोई मोती को, कोई पिरोई हुई माला को देख रहे हैं
हम तो हैं गोताखोर, ज़ख्म-ए-समन्दर देख रहे हैं
देखने वाले न जाने क्या-क्या देख रहे हैं
हम तो जीते-जी, मुर्दों के ऊपर संगमरमर देख रहे हैं
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