पकड़ी है जब से हाथ, चाय की प्याली।
आ रही निभाती साथ, चाय की प्याली।
चाहने लगता है मन, मिल जाए फ़ौरन,
हर दिन होते ही प्रात, चाय की प्याली।
जगा देती है दिल में, थोड़ी ताजगी,
सुस्ती को देकर मात, चाय की प्याली।
हमेशा निभाती साथ, बनकर हमसफ़र,
देती सफर में स्वाद, चाय की प्याली।
पिलाकर कई बार, संग में दोनों को,
बना दी हमारी बात, चाय की प्याली।
जब थमाने को बढ़ाये, हाथ तो छलकी,
हमको वो पहली बार, चाय की प्याली।
देती है एकाध बार, रोज प्याली भर,
जिंदगी की सौगात, चाय की प्याली।
(C) एस. डी. तिवारी
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