अमृता प्रीतम
Born: 31 August 1919, Gujranwala, (punjab)
Died: 31 October 2005, Delhi
अमृता प्रीतम का जन्म १९१९ में गुजरांवाला पंजाब (भारत) में हुआ। बचपन बीता लाहौर में, शिक्षा भी वहीं हुई। किशोरावस्था से लिखना शुरू किया: कविता, कहानी और निबंध। प्रकाशित पुस्तकें पचास से अधिक। महत्त्वपूर्ण रचनाएं अनेक देशी विदेशी भाषाओं में अनूदित।
१९५७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९५८ में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत, १९८८ में बल्गारिया वैरोव पुरस्कार; (अन्तर्राष्ट्रीय)और १९८२ में भारत के सर्वोच्च साहित्त्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। उन्हें अपनी पंजाबी कविता अज्ज आखाँ वारिस शाह नूँ के लिए बहुत प्रसिद्धी प्राप्त हुई। इस कविता में भारत विभाजन के समय पंजाब में हुई भयानक घटनाओं का अत्यंत दुखद वर्णन है और यह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में सराही गयी।
रसीदी टिकट उनकी आत्मकथा है
अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ। वे साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत हो चुकी थीं।
उनकीरचना "धूप का एक टुकड़ा" का कुछ बेहतरीन अंशइस प्रकार हैं
जब धूप का एक टुकड़ा सूरज की उंगली थाम कर
अंधेरे का मेला देखता उस भीड़ में खो गया।
सोचती हूँ सहम और सूनेपन का एक नाता है
मैं इसकी कुछ नहीं लगती
पर इस छोटे बच्चे ने मेरा हाथ थाम लिया।
तुम कहीं नहीं मिलते
हाथ को छू रहा है एक नन्हा सा गर्म श्वास
न हाथ से बहलता है न हाथ को छोड़ता है।
अंधेरे का कोई पार नहीं
मेले के शोर में भी खामोशी का आलम है
और तुम्हारी याद इस तरह जैसे धूप का एक टुकड़ा।
- अमृता प्रीतम
Bahut behtareen chunaw. Bahut aachi kavitri aur unki umda panktiyan. Dhanyawad aapke behtareen panktiyan mere kavita par likhne ke liye. Bahut bahut aabhar.
Aaj hath thamna ek Jurm ho gaya, Gale milna jaise Virus ko nyota dena. Woh bhi kya din thy aur ab kya ho gaye. One of my fav. Dr Amrita Pritam.10/10
Thank you so much, Sharad ji, for posting such a compact yet impressive compilation of pieces from the life, times and works of Amrita Pritam who was loved by several generations of people for her timeless contribution to the world of poetry, fiction and other genres of literature. Great tribute indeed.
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Tumhari yaad is tarah jaise dhoop ka ek tukda Kashmir ke sardi me jaise angithi ke garmi Aur barish me barsati ka saath. Bahut khoob rachna.