मैं विस्मृती की स्थिति से ऊपर,
उठकर अनंत आनंद के अपने,
निवास को ओर अपनी यात्रा पर हूं,
मैं उस स्वतंत्रता का वर्णन कैसे करूं?
जिसका अनुभव मैंने पहले कभी नहीं किया,
निसंदेह, मैं कोई ऑक्सीजन नही बल्कि
सिर्फ और सिर्फ आध्यात्मिक आनंद का लुप्त उठा रहा हूं l
मुझे पता चला है सिर्फ मैं एक तत्व हूं,
न तो इसे कोई विभाजित कर सकता है,
और न ही मुझे कोई चोट पहुंचाई जा सकती है l
मैं अतीत, वर्तमान और भविष्य में,
समय का विस्तार करता हूं।
मुझे मांस और हड्डियों से भरी थैली की कोई जरूरत नहीं,
क्योंकि --
मैने सभी भौतिक सीमाओं को पार कर लिया है,
मुझे न तो अग्नि जला सकती है और न ही सागर मुझे डूबा सकता है l
मेरा कोई आकर नही मैं निराकार हूं,
मैं पहाड़ों के बीच से यात्रा कर सकता हूं,
मुझे पहले कभी इसका तनिक अहसास भी नही हुआ,
कि मेरी दृष्टि ज्ञान और उर्जा कितनी अनंत है l
मैं असीमित खुशी का आनंद लेता हूं,
अज्ञात जब तुम मांस और रक्त के वस्त्र धारण करते हो,
तब तुम मुझ पर दया मत करो ।
क्योंकि --
मैं मृत्यु के भ्रम को पार कर चुका हूं
नैतिकता ही मेरा सपना रहा है ।
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