Beta Beti Ek Smaan Poem by milap singh bharmouri

Beta Beti Ek Smaan

बेटी- बेटा एक समान यूँ तो
लोग सबके सामने कहते हैं।

पर चोरी छुपके टोने -टोटके
न जाने क्या - क्या वो करते है।

लिंग भेद पर उनकी दृष्टि से
शायद देवों को भी हैरानी होगी।

देवी के मंदिर में जाकर नासमझ
देवी से भी बेटा ही मांगा करते हैं।

Saturday, November 17, 2018
Topic(s) of this poem: gender
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