Basant N Bhaya Hame (Hindi)बसंत न भाया हमें Poem by S.D. TIWARI

Basant N Bhaya Hame (Hindi)बसंत न भाया हमें

अबकी बसंत न भाया हमें

फूलों ने बहुत लुभाया हमें,
अबकी बसंत न भाया हमें।

तुम रूठकर, गए किस डगर?
हम इधर, रहे थामे जिगर।
तारों ने बहुत उलझाया हमें।
अबकी बसंत न भाया हमें।

दिन ने तो छीना चैन हमारा,
रात ने छीना नीदों का सहारा।
हम दिन से लड़े, रातों से लड़े,
मुश्किल भरी हालातों से लड़े।
मौसम ने बहुत सताया हमें।
अबकी बसंत न भाया हमें।

बागों में थी, उदासी सी छायी,
तुम बिन बहार कहाँ थी आयी।
भौरे भी लौटे, मन मसोस कर।
तितलियाँ रहीं अफ़सोस कर।
बेशक फूलों ने हंसाया हमें।
फिर भी बसंत न भाया हमें।


- एस० डी० तिवारी

Wednesday, September 26, 2018
Topic(s) of this poem: hindi,love
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