Baaki Jahan Se Kya (Hindi Ghazal) बाकी जहाँ से क्या Poem by S.D. TIWARI

Baaki Jahan Se Kya (Hindi Ghazal) बाकी जहाँ से क्या

बाकी जहाँ से क्या

तुम जो मिल गए हो, मुझे बाकी जहाँ से क्या!
दिल मेरा खिल गया, मुझे बाकी जहाँ से क्या!
जिंदगी तुम्हारे नाम, सांसें तुम्हीं से हैं,
तुम्हारी पनाह दिल, मुझे बाकी जहाँ से क्या!
मुहबबत के हो फ़रिश्ते, तुम मेरा मुकाम हो,
कर दो राह रौशन, मुझे बाकी जहाँ से क्या!
प्यार में तुम्हारे दम, जन्नत उतार लाये,
जन्नत है मेरे पास, मुझे बाकी जहाँ से क्या!
तुमसे ही जहाँ का हुस्न, मालिक तुम्ही तो हो
जलवे में कर लो कैद, मुझे बाकी जहाँ से क्या!
साया तुम्हारा हम पर, रह जाये बना हरदम
तुम हो मेरे हमदम मुझे बाकी जहाँ से क्या!

एस० डी० तिवारी

Monday, June 6, 2016
Topic(s) of this poem: love
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