मेरे पापा Poem by Ashish Singh

मेरे पापा

मेरे पापा

तोतली भाषा को शब्दो में कहना सिखाया आपने
गिरकर हर बार संभलना सिखाया आपने

बेजान सा खिलौना था मानों
चाबी भर कर चलना सिखाया आपने

खुद टूटी चप्पल पहन कर भी
मुझे सब कुछ दिलाया आपने

मेरे हर कदम की परछाई बने जो
डांट से अपनी, अनुसाशन में ढलना सिखाया आपने

सत्य के साथ आगे बढ़ो का पाठ पढ़ाया
हार को हर बार जीत में बदलना सिखाया आपने

मैं क्या हूं क्यों हूं कुछ पता नहीं था पापा
मेरे नाम का सही अर्थ सिखाया है आपने

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