इस बार होली उनके बिना है Poem by Ashish Singh

इस बार होली उनके बिना है

इस बार होली उनके बिना है

जिनके होने से ही जिन्दगी मे
रंगो के मायने होते थे
जिनके होने से ही मेरे सपनो की
दुनिया रंगीन होती थी

वो जो बेरंग सी दुनिया मे मेरी
रंग बिरंगी यादे दे गई थी
वो जो सुखे से अरमानो को मेरे
चाहत के रंगो मे भिगो गई थी

कुछ रंग सपनो के कुछ रंग खुशियो के
जो ना हो पाये अलग
कुछ ऐसै आपस मे मिला गई थी

नही है वो पास मेरे लगाने को मुझे
इस बार अपने हाथो से गुलाल
तो क्या हुआ
यादो से ही उनकी हो जाऐंगे हम सुर्ख लाल

ये रंगो की होली तो आएगी चली जाएगी
नही जाएगा तोह बस...
मेरे गालो से उनके इश्क का गुलाल

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️

इस बार होली उनके बिना है
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