यादों की होली Poem by Ashish Singh

यादों की होली

देखो ये होली फिर आ गई मुझको तड़पाने
तेरी यादो के बारिश मे मुझको फिर से भिगाने

रंगो को देख कितना तू खुश हो जाती थी
लाल रंग ही लगाना मुझको
थोड़ा शरमा के बोल जाती थी

मैं भी दिवाना जैसा लाल रंग ही लाता था
तू करती थी आंखे बन्द
मैं मांग मे तेरी लगा खुश हो जाता था
खुशी के निशान गालो पे नजर आते थे

आजा की अब उन सपनो को पुरा है कर जाना
होली भी आ गई कब होगा तेरा आना

देख तेरे आने मे कहीं देर ना हो जाए
बाहर से रंगे कोई मन कोरा रह जाए

वादो पे तेरे यकीन है आंखो को इंतजार है
दिख जाए जो सुरत तुम्हारी फिर मेरा त्योहार है

आ लगा जा प्यार का गुलाल
कितना हसीन है ये ख्याल
रंग जाए एक दूजे मे
हर तरफ बिखरा हो बस रंग लाल

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️

यादों की होली
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