Thursday, April 24, 2025

पहल ग़म! Comments

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पहलगाम की वादियाँ कल रो पड़ी थीं,
चुप थे चिनार और नदियाँ भी सिसक रही थीं।
जहाँ सैलानी हँसते थे, तस्वीरें बनाते,
वहीं अब बारूद की बू फैली थी रात भर।
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Anant Yadav anyanant
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