तेरे जानें के बाद (श्रृंगार रस) Poem by Anant Yadav anyanant

तेरे जानें के बाद (श्रृंगार रस)

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शुरू होने से पहले यूं, तेरे ए खत्म स होना,
मेरी आंखों के पलकों से, तेरा ऐसा उतर जाना
समझ न यूं सका मैं भी, समझ न यूं सकी तू भी,
हुई न एक भी बातें, हुई न एक मुलकाते
फिर भी तेरा ऐसे चले जाना, ेे
तेरा ये दूर चले जाना, खलने स लगा मुझको
तेरे ऐसे चले जाना, मेरा गुस्सा में यूं जाना
खलना स लगा मुझको, यूं ख़लने स लगा मुझको,
शुरू होने से पहले यूं तेरा ये खत्म स होना
मेरी आंखों के पलकों से तेरा ऐसा उतर जाना
तेरा हंसना भी मोहित था, तेरा रूठ सा जाना भी
तेरा रोना भी करता था मुझे पागल,
सोचा था कि मिलेगी तू, पर तेरा ऐसा बिछड़ जाना,
शुरू होने से पहले यूं तेरा ये खत्म स होना
मेरे आंखो के पलकों से तेरा ऐसा उतर जाना
मिली तू शर्त से लेकिन, बदल यूं हमको दिया तुमने
रहता था यूं चेहरा पे गुस्सा, जुबां में ज़िद्दी पना
सब बदल दिया तुमने, दिया हमको बदल डाला,
न अब गुस्सा शुरू होता, न अब वो ज़िद्दी पन
न तबसे मार किया हमने, न तुम्हे पाने की चाहत की
मिली तू शर्त से लेकिन, भुला फिर भी न सका यूं,
तेरा वो शांत स रहना भी, करता था यूं मुझे पागल,
शुरू होने से पहले यूं तेरा ये खत्म स होना
मेरी आंखों के पलकों से तेरा ऐसा उतर जाना
समझ न सका मैं भी, समझ न यूं सकी तू भी
मेरी आंखों के पलकों से तेरा ऐसा उतर जाना

My first poem 20-08-2020

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