पहलगाम Poem by Anant Yadav anyanant

पहलगाम

पहलगाम की धरती बोली, अब न कोई आँसू होंगे,
शेरों के इस वतन में बस गर्जन और बारूद होंगे।
जहाँ चले थे नापाक कदम, वहां तिरंगा लहराएगा,
हर एक शहीद का बदला अब दुश्मन को दिखलाएगा।

पर्यटक का लहू जो बहा है, वो अब तलवार बनेगा,
भारत का हर बेटा अब रण में अंगार बनेगा।
दहशत का नाम मिटेगा, हर कोना रोशन होगा,
पहलगाम फिर मुस्काएगा, जब आतंक छू मंतर होगा।

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