ए सुबह Poem by Anant Yadav anyanant

ए सुबह

ये सुबह! फिर रात हो जा,
एक अजनबी सी मुलाकात हो जा,

सपनो में मिलूंगा तुझसे,
सपनो का वो सार हो जा,
फिर हम हसी से बात करेंगे,
रूठे हुए पल याद करेंगे
उन लम्हों को संभाल कर रखा
बस उन लम्हों संग्रह हो जा,

यादों के झरोखे से देखूं
वो खट्टी मीठी सी बात हो जा,
पत्तियों के बीच अल्हड़ कली सी
एक मदभरी सी मुस्कान हो जा,
ओस भरी सर्दी की,
शीतल चांदनी रात हो जा
मेरी अनकही, भावो में वक्त
वो बात हो जा

मेरे सपने, मेरी मंजिल
मेरी फरियाद, मेरी याद
छुपे हुए राज को,
बेराज कर जा,
ये सुबह फिर रात हो जा।

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