उसके मन का क्या करना
हालात बता कर क्या करना
हो तो किसी का सकता नही
जज्बात बता कर क्या करना
देश का हाल बता कर क्या करना
किसान की हालत बता कर क्या करना
सुनता तो कोई है नही
फिर उनका जज्बात बता कर क्या करना।
वो तो वक्त का मारा है
भार उस पे सारा है
उसको मार कर क्या करना
खुद पे रहमत क्या करना।
हिंदू- मुस्लिम कह कर
उससे नफरत क्या करना
लिखा नही जो किस्मत में
उसका चाहत क्या करना
ये तो एक दिन होना था
इसमें वक्त क्या करना।
ईश्वर एक कहकर
धर्म पर लड़ने का क्या करना
अपना है काम निकाल रहे
तुम्हे समझा कर क्या करना।
शायर के मन क्या करना
हालात बता कर क्या करना
हो तो किसी का सकता नही
जज्बात बता कर क्या करना।
बात देकर बदल गए
अब उस मत का क्या करना
तेरा कातिल तू खुद
दूसरों पे रहमत क्या करना।
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