कहीं प्यार तो कहीं टकराव
कहीं घमंड तो कहीं विनम्रता
कहीं अमीर तो कहीं गरीब
कहीं मिली प्रशंसा,
तो कहीं धिक्कार मिली,
कहीं लोग खुश दिखें मुझे,
कहीं दुख से पीड़ित असहाय पड़े,
किसी को सहा नही,
कहीं मिली दुआ सच्चे मन से,
तो आया मन में करने को कुछ काम
बनाए पराए रिश्ते अपनो से,
कहीं पराए अपने बन गए,
था खड़ा कीचड़ में जब था,
देख बहुत खुसमदे चेहरे,
लिए हाथ में खंजर घूमे,
हाथ क्यों मन में भी तो खंजर है,
भोगा पीठ पर बुराई का खंजर
क्या करें
भाव से है प्रभाव मिला
रखी सुध्दता मन में,
तो शुद्ध शीतल जल मिलेगा,
सिद्ध होंगे काम सभी,
कहीं न ऐसा मंजर मिलेगा।
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