अनंत प्रकृति का नव आगमन Poem by Anant Yadav anyanant

अनंत प्रकृति का नव आगमन

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नव वर्ष आया द्वार है।
दीप जले अंबर में,
मंगल सारा संसार हैं, ,
आशावों की धुन में गीत सुनाता
नव वर्ष आया द्वार है।

प्रकृति का भी नव आगमन
लालिमा घोल रहा है सूरज,
स्वर्ण रश्मियां बांध लड़ी
अभिनंदन हैं नवल घड़ी
बहे बयार घुली चंदन की
प्राची ऊषा द्वार खड़ी,
मोती सी नवल नव वर्ष की बूंदे
पड़ी हरे पत्ते पे सज्ज सी,
स्नेह की बाती प्रेम का दीपक
नव वर्ष का भव्य आगमन।

अनंत का भी नव आगमन
नव निष्ठा नव संकल्प है
नव प्यास जीवन में है
करना कुछ नया, नव बहार जीवन में है
अनसुलझी सी रही पहेली,
उसका भी निवार नव जीवन में है
पर्वत जैसा अडिग भरोशा
नव अनंत जीवन में है
सपनो को सच करनी की
नव चाह जीवन में है
भुला के बीती बातों का
नव मुस्कान नव जीवन में है

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